महिला शिक्षा की करामात
अभी नींद भी न खुली थी!और
जोर की आवाज आई!
ऐ मिस्टर!
हैलो, गुड मॉर्निंग!
आपके लिए है ये वॉर्निंग!
मुझे जल्दी है ऑफिस जाना।
खाना रोज की तरह चटपटा बनाना।
और लंच बॉक्स मय कॉफी ले,
सीधे ऑफिस चले आना।
ये है तुम्हारी बीबी का फरमाना।।
पहुंचा,पहुंचा,ला -लाकर,
रोजाना रूटिंन से तंग आकर,
“महोदया” से किया सवाल!
मेडम, ये क्या बात है?
ये अंत है या शुरुआत है?
मेडम ने दिया जवाब,जनाब-
ये अंत नही शुरुआत है।
ये “महिला शिक्षा” की करामात है।
अभी तो हम सिर्फ साक्षर हो रहे है,
आगे तो पड़ा सारा जमाना है।
बनाने, खाने,धोने से लेकर,
हर काम पुरुषों से करवाना है।
और यदि महिलाएं बनी कहीं”वैज्ञानिक”,
तो बच्चे भी पुरुषों से पैदा करवाना है।।
रचियता
संतोष बरमैया”जय”