महिला दिवस
नारी हूं मैं ,गर्व है खुद पर
मेरा भी अस्तित्व है, मेरी भी एक पहचान है
मुझमें है वह हुनर कि मैं सब संभाल सकती हूं
अपने परिवार अपने गृहस्ती से खुद के लिए थोड़ा वक्त भी निकाल ही लेती हूं
हर नारी में है कुछ छिपा हुनर
तो ढूंढ खुद को अंदर से जरा
तू पहचान उस हुनर को जरा
और अपने हुनर को सोने सा तू परख
अपने हुनर को हीरे की तरह चमका
उसे इस काबिल बना
कि तेरे नाम से पहचाने तुझे तेरा अस्तित्व बना
चल उठा अपनी वह कलम लिख दे कुछ पंक्तियां खुद के नाम
फिर देख तू तेरे अरमानों को मिलेंगे पंख जरा
रुक मत बढ़ती जा अपनी डगर
पा हि लेगी अपनी मंजिल अपनी डगर
बना ही लेगी अपना अस्तित्व अपनी पहचान
हां मैं नारी हूं गर्व है खुद पर। ।