महिला दिवस
दिन विशेष की माँग नही,
बस इतना सा ही व्यवहार हो।
मेरे वजूद को मान मिले,
मेरे लिए नजरों में मान हो।
देवी मानकर न पूजे हमें,
बस इतना सा ही मान हो।
पढ़ लिखकर उड़ने का हमें
मिले उन्मुक्त आकाश हो।
मेरी कोख में वंश पले कुल का,
मेरे आँचल में दूध की धार है।
पर मुझे मात्र देह न समझो
मेरे ह्रदय के लिए प्यार हो।
मेरे काम का दाम न हो,
बस इतना ही मान हो।
मेरे अस्तित्व को समझा जाय,
इंसानियत का सदा भान हो।
बेटी बहन माँ बहु बीबी बनूँ,
इतनी सी बस चाह है।
हर रिश्ते के रूप में हमें
बस प्यार और सम्मान हो।
धैर्य और सहनशीलता की मिसाल बनें
हिम्मत और हौसला आधार हो।
त्याग और समर्पण को रूप बन
जीवन का संचार हो।