महिला दिवस
महिला दिवस
जगत जननी, प्रेम की देवी, मातृशक्ति कहलाई है
मातृत्व का सुख देने को, नारी धरा पर आई है ।
पौराणिक गाथाओं में भी, जिसमें शक्ति समाई है
बहन, बेटी और मां बनकर, नारी कल्याण को आई है ।।
दुख-सुख में जिसने, पत्नी बन कर, जन्मों की सौगंध खाई है
अपनी पावन भूमि, भारत माँ कहलाई है ।
पति की खातिर सती सावित्री, यमराज से भी टकराई है
त्याग और बलिदान की मूर्त बन कर, महिला धरा पर आई है ।।
युगो-युगो तक भेदभाव की, जिसने पीड़ा उठाई है
जबरन महिला के सम्मान की, जालिम नें बलि चढ़ाई है ।
कभी बेटे की चाह में ढोंगी ने, भ्रूण हत्या करवाई है
और कभी सती प्रथा से, महिला बहुत सताई है ।।
नर-नारी सब एक समान, सब को यह समझाना है
खोया हुआ नारी का मान, उसको वापस दिलाना है ।
प्यार प्रेम का यह संदेश, जन-जन तक पहुंचाना है
महिला दिवस का हम सबको, सही अर्थ समझाना है