महिला दिवस
आप लोग हैं हमारे कन्धे से कन्धा मिला कर खड़ी।
तब ही तो गृहस्थी की गाड़ी हैं इतने प्यार से बढ़ी।।
क्योंकि
आप गोबर हैं, हम परात हैं।
आप मुक्का हैं, हम लात हैं।।
आप आस हैं, हम परिहास हैं।
आप स्वास हैं, हम एहसास हैं।।
आप दर्द हैं, हम हमदर्द हैं।
आप राज हैं, हम हमराज हैं।।
आप कढछी हैं, हम कढाई हैं।
आप बरछी हैं, हम सिलाई हैं।।
आप आई हैं, हम सहनाई हैं।
आप पराई हैं, हम अपनाई हैं।।
आप भूमि हैं, हम अंकुर हैं।
आप अग्नि हैं, हम भंगुर हैं।।
और अंत मे
सभी नारी शक्ति को नमन हैं।
आपके बगैर कहा हमारा मन हैं।।