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9 Mar 2022 · 1 min read

महिला दिवस

प्रणेता रचियता सृजन
सृष्टि की हो।
सकल विश्व में भी कुशल
दृष्टि की हो

कहीं भी तुम्हारी कोई
क्षय न होवे
दुश्मन भी डरते सदा
जय ही होवे

समय की बदल दोगी
युक्ति से धारा।
स्वयं ब्रह्म ने भी लिया
था सहारा।

कोई कुछ भी बोले या
कोई नकारे
सभी कार्य चलते
तुम्हारे सहारे।

गजब तेरी शक्ति
गजब तेरी भक्ति।
बिना तेरे जग को
हुई है विरक्ति।

जीवन की नैया की
पतवार तुम हो
परिवार की रीढ़
संस्कार तुम हो

प्रवीणा त्रिवेदी
नई दिल्ली 74

Language: Hindi
155 Views
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