Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2021 · 1 min read

“महास्वारथ”

स्वरचित खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग से लिया गया अंश—–
“धृतराष्ट्र की सभा में श्रीकृष्ण-विराटरूप दर्शन”
—————————————————————

अहंकार में अंधा होकर,,
दुर्योधन ने हरि को बाँधना चाहा।
जो हैं अविनाशी, जग-प्रकाशी,,
उसी पर अचानक आँधना चाहा।।
सिंधु-तट पर ज्वार आया,,
छा गयी चारों ओर छाया,,
अब हरि को क्रोध आया।
पर न दुर्योधन को बोध आया।।
अचानक श्याम हुआ आकाश,,
छा गया चारों ओर पीत प्रकाश।
दुःशासन-शकुनि हुए हताश,,
सभा में स्वयं प्रकट हुए अविनाश।।
रूप बढ़ता जाता है,,
कोप बढ़ता जाता है,,
सभा में बैठा सभा का,,
भूप भी कँप जाता है।
सभा-शिखर पर मस्तक स्थित,,
धृतराष्ट्र सुत हेतु हुए चिंतित।
पापी सारे हुए विकल-व्यथित,,
पर भीष्म-विदुर थे आनंदित।।
जब पर्वताकार हरि बोले,,
तो दरबारी डगमग डोले।
देख दुर्योधन,,
क्यों डरता है?
अब क्यों तन में,,
कम्पन करता है?
बाँध,, हाँ बाँध,,
हाँ बाँँध-बाँध-बाँध रे।
आँध,, हाँ आँध,,
हाँ मुझ पर तू आँध रे।।
बाँध,, कहाँ से बाँधेगा तू ,,
मैं तेरे ही अब समक्ष खड़ा हूँ।
देख चारों ओर दृष्टि से तू,,
मैं ही अब यहाँ सबसे बड़ा हूँ।।
✍️भविष्य त्रिपाठी

Language: Hindi
437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
श्याम सिंह बिष्ट
सुहागन का शव
सुहागन का शव
Anil "Aadarsh"
"प्रीत की डोर”
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
देर आए दुरुस्त आए...
देर आए दुरुस्त आए...
Harminder Kaur
उसका अपना कोई
उसका अपना कोई
Dr fauzia Naseem shad
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
!! चहक़ सको तो !!
!! चहक़ सको तो !!
Chunnu Lal Gupta
माँ सरस्वती
माँ सरस्वती
Mamta Rani
I am sun
I am sun
Rajan Sharma
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
VINOD CHAUHAN
💐प्रेम कौतुक-515💐
💐प्रेम कौतुक-515💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं धरा सी
मैं धरा सी
Surinder blackpen
दोस्ती की कीमत - कहानी
दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मतलबी इंसान हैं
मतलबी इंसान हैं
विक्रम कुमार
भारत सनातन का देश है।
भारत सनातन का देश है।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
#आलेख-
#आलेख-
*Author प्रणय प्रभात*
2381.पूर्णिका
2381.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
ती सध्या काय करते
ती सध्या काय करते
Mandar Gangal
आज बुढ़ापा आया है
आज बुढ़ापा आया है
Namita Gupta
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
"अंगूर"
Dr. Kishan tandon kranti
* काव्य रचना *
* काव्य रचना *
surenderpal vaidya
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
*अक्षय धन किसको कहें, अक्षय का क्या अर्थ (कुंडलिया)*
*अक्षय धन किसको कहें, अक्षय का क्या अर्थ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
हरवंश हृदय
The Magical Darkness
The Magical Darkness
Manisha Manjari
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
Rakesh Panwar
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
प्राकृतिक के प्रति अपने कर्तव्य को,
प्राकृतिक के प्रति अपने कर्तव्य को,
goutam shaw
Loading...