Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2021 · 2 min read

महासती द्रोपदी की दो भूलें

हे पुण्य सलिला ,
यज्ञ सैनी ,वीरांगना,
दिव्य कन्या ,
देवी द्रोपदी !

तुम्हारे साथ कब
न्याय हुआ।
हे कृष्णे ! कृष्ण सखी ,
होकर भी विधाता के द्वारा
सदा अन्याय हुआ।

सर्वप्रथम राज कन्या होकर ,
संन्यासी से विवाह हुआ।
और जब ब्याह कर आई ,
मां कुंती के द्वारा ५ भाइयों में ,
बांट दी गई ।

चौसर के कपट पूर्ण खेल में,
युद्धिष्ठर ने सब कुछ हार दिया।
अपना राज पाट,भाई ,स्वयं को भी।
मगर तुम्हें दाव पर लगाने का उसे
किसने अधिकार दिया था ?

जिसका दुष्परिणाम यह हुआ ,
भरे राज महल में बड़े बुजुर्गों ,
के समक्ष अपमानित की गई।
अपशब्द भी सुनने पड़े।

ये तो तुम्हारे साथ अन्याय हुआ ,
उसका परिणाम महाभारत युद्ध के ,
रूप में हुआ।
विधि ने तुम्हारे साथ न्याय किया।

परंतु तुमसे कुछ भूलें भी हुई ,
तुमसे मात्र दो भूलें हुईं ।
तुमने इंद्रप्रस्थ की माया पूर्ण ,
महल में दुर्योधन का मजाक ,
नहीं उड़ाना चाहिए था।
उसका अपमान नहीं करना चाहिए था।
जिसके परिणाम स्वरूप ,
उसके मन में तुमसे बदला ,
लेने की दुर्भावना जागी ।

दूसरे तुम्हें भरी राज सभा में बुलाए ,
जाने से पूर्व ही अपने मित्र श्री कृष्ण
का स्मरण करना चाहिए था।
उनकी सहायता हेतु पहले ही पुकार
लेती तुम ।
तो नारी जाति पर हुए इतने बड़े
अपमान से बच जाती ।

तुम्हें बालों से खींच कर दुशासन ,
भारी सभा में लाया,तब भी नहीं ,
और तुमने औरों से सहयता मांगी ,
मगर कान्हा से नही ।
तुमने कान्हा से तब सहायता मांगी ,
जब उस दुष्ट दुशासन ने ,
तुम्हारा चीर हरण करना प्रारम्भ किया।

काश ! तुम पहले ही श्री कृष्ण की स्मरण
कर लेती ।
काश ! तुम ये दो भूलें न करती ।

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 729 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
Shweta Soni
💐प्रेम कौतुक-220💐
💐प्रेम कौतुक-220💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कविता -नैराश्य और मैं
कविता -नैराश्य और मैं
Dr Tabassum Jahan
इक दिन तो जाना है
इक दिन तो जाना है
नन्दलाल सुथार "राही"
हमारा साथ और यह प्यार
हमारा साथ और यह प्यार
gurudeenverma198
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एकाकीपन
एकाकीपन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"वाह रे जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
Basant Bhagawan Roy
जख्म हरे सब हो गए,
जख्म हरे सब हो गए,
sushil sarna
फूलों की तरह मुस्कराते रहिए जनाब
फूलों की तरह मुस्कराते रहिए जनाब
shabina. Naaz
मुझे पढ़ने का शौक आज भी है जनाब,,
मुझे पढ़ने का शौक आज भी है जनाब,,
Seema gupta,Alwar
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
DrLakshman Jha Parimal
कया बताएं 'गालिब'
कया बताएं 'गालिब'
Mr.Aksharjeet
नौका को सिन्धु में उतारो
नौका को सिन्धु में उतारो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ सच साबित हुआ अनुमान।
■ सच साबित हुआ अनुमान।
*Author प्रणय प्रभात*
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
कवि दीपक बवेजा
दोहा-*
दोहा-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
Harminder Kaur
"काफ़ी अकेला हूं" से "अकेले ही काफ़ी हूं" तक का सफ़र
ओसमणी साहू 'ओश'
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
गुरु बिन गति मिलती नहीं
गुरु बिन गति मिलती नहीं
अभिनव अदम्य
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
Anil "Aadarsh"
जीवन
जीवन
Rekha Drolia
*मोदी (कुंडलिया)*
*मोदी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
Sanjay ' शून्य'
एतमाद नहीं करते
एतमाद नहीं करते
Dr fauzia Naseem shad
Loading...