महाशिवरात्रि
शिव मूल मंत्र:-
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युञ्जय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ
भगवान शिव को हर कहा जाता है क्योंकि वे भक्त के जीवन से कष्ट हर लेते हैं-उन्हें महेश्वर इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि वे महान ईश्वर, देवताओं के देवता, ब्रह्मांड के नियंत्रक हैं…,
भगवान शिव ऐसे भगवान हैं जो सभी जानवरों में रहते हैं- उन्हें “पशुपति” भी कहा जाता है जो दर्शाता है कि वे सभी प्राणियों के भगवान हैं। हम सभी जानवर या “पशु” हैं और हमारे भगवान शिव हैं जो हमें नियंत्रित करते हैं, हम पर दया करते हैं, वे हम सब के प्रभु हैं।
हम आत्मन या आत्मा हैं और भगवान शिव परमात्मा हैं जो सबसे बड़ी आत्मा और सर्वोच्च वास्तविकता हैं-ऐसे देवो के देव महादेव भगवान शिव को बारम्बार नमस्कार करते है …!
शिव की आराधना में शिवाभिषेक का विशेष महत्व है और अवसर महाशिवरात्रि का हो, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
अलग-अलग फलों की प्राप्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है:-
1 – भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है…,
2 – जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है…,
3 – घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है…,
4 – इत्र की धारा चढ़ाने से काम सुख व भोग की वृद्धि होती है…,
5 – शहद के अभिषेक से टीबी रोग का नाश होता है…,
6 – गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है…,
7- गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है…,
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?