महाराणा प्रताप
1.
राष्ट्रभक्ति मन मे भरी , अडिग रहे जो वीर ।
राणाप्रताप एक हैं ,सही देश हित पीर ।
कभी न गिरफ्तार हुए , लौटी अकबर फौज –
राणा प्रताप सामने , ध्वस्त पस्त तदबीर ।
2.
खरे वीरता के धनी , महाराणा प्रताप ।
चेतक को गति की समझ, छोड़ी अद्भुत छाप।
दोनों का गठजोड़ था ,साहस भरी मिसाल–
राणा के मन भाव को , चेतक जाता भाप ।
3.
पश्त माँग मानसिंह की , शक्तिसिंह का द्रोह ।
अकबर दलबल था बड़ा , राणा ऊहापोह ।
जन धन का संकट बढ़ा , भामाशाही दान —
चेतक पर विश्वास ने , उन्हें बनाया लोह ।
4.
राणाप्रताप भूमिका ,मिट्टी पर है कर्ज ।
चेतक भामा ने किया , पूरा अपना फर्ज ।
अंत समय तक देश हित, भले रोटियाँ घास –
प्राणों की परवाह बिन , करी भूमिका दर्ज ।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
बड़वानी (म. प्र .) 451 551