महाराज ! कालाधन चाहिए (व्यंग्य )
एक बार भोलू पहलवान समुद्र मंथन से निकले धन्वन्तरि को अपने घर ले आया हालंकि जो कलश धन्वन्तरि लिए हुए थे
वो देवताओं में पहले बँट चुका था , पर उसे संतोष था कि कुछ अमृत पात्र से चिपका है इसलिए घर लाने के बाद आसन पर विराजमान कर धन्वन्तरि को प्रणाम किया चूँकि देवताओं के वैध
है इसलिये धन्वन्तरि ने पूछा ‘वत्स कैसे याद किया और क्या प्रयोजन है यहाँ लाने का ।
भोलू पहलवान की आवाज में दयनीयता थी , “महाराज चालीस दशक बीत गये कुश्ती लड़ते – लड़ते । शरीर दुर्बल हो गया है बस कुछ अमृत मुझे प्रभु दे दो जिससे जब तक मरूँ कुछ न करना पड़े और काला धन कमा कर अपना और बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर दूँ । बस महाराज , आप तथास्तु कहिए । आधा आपका ।
लेकिन भोलू , अगर तुम अमर हो गये तो बहुत सारा काला धन कमा लोगें , लेकिन यह पाप है तुम्हारी औलाद बिगड़ जायेगी । कुछ काम – धाम नहीं करेंगी ।
भोलू पहलवान बोला , नहीं महाराज , निठल्ला होना भी एक योग्यता है पढ़े – लिखे से अंगूठा टेक ज्यादा कमाते है महाराज । हमारे बहुत से नेता ऐसे है । काले धन के बहुत से फायदे भी है।
गरीबों को दान दे दो , मन्दिरों में चढ़ा दो इसके अलावा बहुत से काम है जहाँ काला धन सफेद हो जाता है हमारे देश में और महाराज सुनो, ” सबको काला धन ही रास आता है “हमारी सरकार ही तो विरोध कर रही है महाराज बाकी सब को तो चाहिए ।
भोलू बोला महाराज जब तक काला धन न कमाओ तरक्की नहीं हो सकती , इतना सुन धन्वन्तरि महाराज ने कहा कि चलो मैं कुबेर को भेजता हूँ लेकिन शर्त है कि काले धन की बात किसी को बताना मत , हाँ महाराज । यह कहकर धन्वन्तरि महाराज तो अन्तर्ध्यान हो गये ।
अब कुबेर सोच रहे कि मैं कहाँ फँस गया । भोलू क्यों ले आया मुझे यहाँ । कुबेर ने पूछा , वत्स बोल , क्या चाहता । महाराज बस , केवल कालाधन ।
लेकिन क्यों ? भोलू ने कहा कि ” कालाधन ही तो अमीर बनाता है वहीं समृद्धि का प्रतीक है उसी से चेहरें पर चमक आती है वही स्टेट्स सेम्बल है । वही प्रतिष्ठा बढ़ाता है ।इतना सुन कुबेर ने भोलू को अक्षत पोटली पकड़ा दी और कुबेर अदृश्य हो गये ।