Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2024 · 3 min read

*महाराजा अग्रसेन को भगवान अग्रसेन क्यों न कहें ?*

महाराजा अग्रसेन को भगवान अग्रसेन क्यों न कहें ?
—————————————-
लंबे समय से ‘महाराजा अग्रसेन’ शब्द का प्रयोग होता रहा है। युगपुरुष अग्रसेन अग्रोहा के महाराजा थे, यह भी सर्वविदित है। इसी आधार पर उन्हें महाराजा कहा और लिखा जाता रहा।

अपने शासनकाल में एक महाराजा के रूप में अग्रसेन के कार्य अद्भुत रहे। अपने राज्य अग्रोहा में उन्होंने अठारह गोत्रों की नव-रचना की। सब प्रकार के जन्मगत भेदभाव से मुक्ति दिलाई। एक गोत्र का विवाह अपने ही गोत्र में न करने की रीति चलाई। अठारहवें गोत्र का सृजन करते समय परंपरावादी चुनौतियों से जूझते हुए अपने समता मूलक विचारों पर अडिग रहे। यह सब किसी साधारण मनुष्य का कार्य नहीं हो सकता। मांसाहार की प्रथा समाप्त की। शाकाहार को हर घर में प्रतिष्ठित किया। पशु बलि पर रोक लगा दी। यह कार्य क्या कोई साधारण मनुष्य कर सकता है ? गरीबी मिटाने का सपना भला किसके बस की बात थी ? लेकिन ‘एक ईंट एक रुपए’ के सिद्धांत के साथ अग्रोहा में न कोई निर्धन रहा, न कोई बेघर रहा। अग्रोहा के समाज में भ्रातृत्व की भावना को विकसित करके सबको सुखी और समृद्ध बनाने का कार्य क्या किसी साधारण मनुष्य के बस की बात कही जा सकती है ? यह कार्य तो कोई अलौकिक शक्ति से संपन्न दिव्य आत्मा के चमत्कार का ही परिणाम कहा जा सकता है।

लेकिन सत्यता तो यह है कि महाराजा अग्रसेन एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं। उनकी सत्यता इतिहास की कसौटी पर प्रमाणिकता के साथ उपस्थित है। उनके कार्य और कार्य-पद्धति एक खुली किताब की तरह सबके अध्ययन का विषय है। वास्तव में देखा जाए तो भगवान कहने के पीछे हमारी गहरी श्रद्धा महाराजा अग्रसेन के प्रति प्रकट हो रही है। हम यह तो मानते हैं कि महाराजा अग्रसेन ने मनुष्य के रूप में जन्म लिया। लेकिन हम जब उन्हें भगवान अग्रसेन कहते हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि मनुष्य के भीतर जो दिव्य शक्ति विराजमान है, वह महाराजा अग्रसेन के रूप में अपनी सर्वोच्चता के साथ प्रकाशित हुई। दिव्यता का यह सर्वोच्च प्रकटीकरण ही अद्भुत और अकल्पनीय होता है। इसी के कारण हम महाराजा अग्रसेन को भगवान अग्रसेन कहने के लिए विवश हो जाते हैं। हमारा मस्तक उनके प्रति एक भक्त की भांति झुक जाता है।

अनेक कथावाचकों ने महाराजा अग्रसेन को भगवान कहने के साथ ही साथ उनके संबंध में ‘ अवतारवाद ‘ का प्रसंग भी जोड़ा है। उनका मत है कि जिस तरह भगवान राम और भगवान कृष्ण ईश्वर के अवतार हैं, ठीक उसी प्रकार भगवान अग्रसेन भी ईश्वर के अवतार हैं। लेकिन इसकी पुष्टि प्राचीन साहित्य में नहीं मिलती।

‘भगवान अग्रसेन’ न तो गलत संबोधन है, न ही आपत्तिजनक संबोधन है। यह महाराजा अग्रसेन के प्रति हमारी अपार श्रद्धा को व्यक्त करने वाला संबोधन है। बस इतना जरूर ध्यान में रखना होगा कि महाराजा अग्रसेन की ऐतिहासिकता, उनकी समता-मूलक दृष्टि, जन्म के आधार पर मनुष्य और मनुष्य के बीच भेद को समाप्त करने की उनकी अद्भुत कार्यशैली तथा पशु-बलि पर रोक लगाने के उनके कठिन कार्य विस्मृत न हो जाऍं। हमें याद रखना होगा कि महाराजा अग्रसेन हमारे लिए पूजनीय भी हैं और अनुकरणीय भी हैं। उनके कार्यो और विचारों को अमल में लाना आज समय की सब से बड़ी जरूरत है।
————————————–
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश 244901
मोबाइल 9997 61 5451

Language: Hindi
46 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
"पालतू"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
"क्रोधित चिड़िमार"(संस्मरण -फौजी दर्शन ) {AMC CENTRE LUCKNOW}
DrLakshman Jha Parimal
अपने सपनों के लिए
अपने सपनों के लिए
हिमांशु Kulshrestha
हमारे ख्याब
हमारे ख्याब
Aisha Mohan
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
Rekha khichi
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम्हारे पास ज्यादा समय नही हैं, मौत तुम्हारे साये के रूप मे
तुम्हारे पास ज्यादा समय नही हैं, मौत तुम्हारे साये के रूप मे
पूर्वार्थ
मेरे अंतस में ......
मेरे अंतस में ......
sushil sarna
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
Neelofar Khan
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
Ashwini sharma
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
*बाढ़*
*बाढ़*
Dr. Priya Gupta
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
कब भोर हुई कब सांझ ढली
कब भोर हुई कब सांझ ढली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
ज्ञान रहे सब पेल परिंदे,
ज्ञान रहे सब पेल परिंदे,
पंकज परिंदा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
शेखर सिंह
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
Rj Anand Prajapati
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
Surinder blackpen
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
🙅जय जय🙅
🙅जय जय🙅
*प्रणय*
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
Manisha Manjari
* शुभ परिवर्तन *
* शुभ परिवर्तन *
surenderpal vaidya
उलझन !!
उलझन !!
Niharika Verma
Loading...