महायज्ञ में तत्पर हैं सब
महायज्ञ में तत्पर हैं सब बातें चन्द करेगा कौन
खुली तुम्हारी पोल देखकर भारत बन्द करेगा कौन
सत्तर साल से बन्द रहा सत्ता की जोरा जोरी में
बेबस अबला नारी जैसे श्रम रो रहा तिजोरी में
घोटालों की सरकारों से शायद तुमको गिला नहीं
भगत सिंह के सपनों का भारत क्या तुमको मिला कहीं
नवनिर्माण मुल्क का होगा चीखो न फरियाद करो
अशफाक उल्ला आजाद गुरू बिस्मिल की शहादत याद करो
आँख का आँसू लहू बना था घायल सी तरुणाई थी
सब समान हों इसीलिए आजाद ने गोली खाई थी
काले धन को बचाने की खातिर सब इत उत डोल रहे
दिल में कुछ और कुछ दिमाग में पर मुख से कुछ बोल रहे
हैं शरीफ तो यार शराफत क्यों दिखलाने निकले हैं
हाथों मे लेकर मशाल क्यों आग लगाने निकले हैं
जिस माटी में खेले हैं उसकी खातिर हैं जड़े हुए
उज्जवल भविष्य की आशा में सब पंक्तिबद्ध हैं खड़े हुए
क्यों कैसे कब तक ऐसा कोई भी सवाल नहीं आया
इस मुद्दे पर जनता को कत्तई बवाल नहीं भाया
भ्रष्टाचार की धधक रही ज्वाला को मन्द करेगा कौन
खुली तुम्हारी पोल देखकर भारत बन्द करेगा कौन