महामारी
दुनिया जिससे सकते में, वो कोरोना नई बीमारी है,
देखते देखते बन गई ये एक विश्वव्यापी महामारी है ।
सहायता और सहयोग का जज्बा बढ़ जाता ऐसे दौर में,
हौसला, धीरज फिर काम आते हैं अंधकार घनघोर में ।
फ़ौज नई खड़ी हो जाती है जालसाज और चोरों की,
लुटेरे, धोखेबाज, मौकापरस्त और मुनाफाखोरों की ।
आपदा से तो इंसान लड़ाई आमने सामने लड़ता है,
एक लड़ाई अनदेखी भी जो मुनाफाखोरों से लड़ता है ।
भेड़ की खाल में छुपे भेड़िये, उन से लड़ना मुश्किल है,
क्योंकि इसमें चोरी, जालसाजी, और धोखेबाजी शामिल है ।
आमने सामने की लड़ाई में दुश्मन की पहचान है,
हौसला और धीरज है तो उनसे लड़ना आसान है ।
घोर रुकावट बन जाते हैं ये आपदा से लड़ने में,
मुश्किल बहुत पेश आती है इन भेड़ियों को पकड़ने में ।
ज्यादा घातक है वो दुश्मन जो छुपा हुआ अंधकार में,
बहुत नुकसान कर चुका होता है जब आता वो मार में ।
लंबी हो आपदा से लड़ाई की अवधि यही तो ये चाहते हैं,
इसीलिए रुकावट डालने को हर तिकड़म लगाते हैं ।
हौसले और धीरज के संग सतर्कता बहुत जरूरी है,
बिन मारे इन छुपे हुओं को फिर ये जीत अधूरी है ।
अचूक अस्त्र हैं आपदा में इंसानी धीरज और हौसला,
सदियों से है आपदा और इंसानी लड़ाई का सिलसिला ।
वायरस से भी ये ना दिखने वाले भेड़िये खतरनाक हैं,
दिखाते है कि आपदा में साथ लड़ रहे हैं और पाक हैं ।
फिर से सुख समृद्धि की सीतल बयार हर और बहेगी,
ये तो सुनिश्चित है कि विजय मानवता की ही रहेगी ।