महाभारत
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र में श्रीमद भगवद गीता के अध्ययन के दौरान वासुदेव कृष्ण एवं द्रौपदी के मध्य हुए संवाद में महत्वपूर्ण सच्चाई आई की “हमारे शब्द भी हमारे कर्म होते हैं” और, हमें”अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत ज़रूरी होता है”…अन्यथा, उसके दुष्परिणाम सिर्फ़ स्वयं को ही नहीं… अपने पूरे परिवेश को दुखी करते रहते हैं ।
जीवन चक्र में श्रीमद भगवद गीता के अध्ययन के दौरान वासुदेव कृष्ण एवं द्रौपदी के मध्य हुए संवाद में महत्वपूर्ण सच्चाई आई की संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है…जिसका “ज़हर” उसके “दाँतों” में नहीं, “शब्दों ” में है…इसलिए शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करें। ऐसे शब्द का प्रयोग कीजिये जिससे, किसी की भावना को ठेस ना पहुँचे। क्योंकि……. *महाभारत हमारे अंदर ही छिपा हुआ है ।
जीवन चक्र में गुलजार साहिब पढते समय एक सच्चाई ये आई की जब भी कभी तुम्हें प्रेम -मोहब्बत -इश्क़ होने लगे तो उस खुदा की इबादत भी जरूर करना क्यूंकि मोहब्बत सच्ची होगी तो अवश्य मिलेगी ,गर बला होगी तो टल जाएगी …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की हमारी परछाई भी तो उजाले तक ही हमारा साथ देती है -अँधेरा होते ही वो भी नजर नहीं ऑती,फिर इस स्वार्थी और झूटी दुनियादारी के लोगों से शिकवा -शिकायत कैसी ?
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!?सुप्रभात?
?? विकास शर्मा “शिवाया”?
???
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