महाभारत का युद्ध क्यों हुआ ?
धृतराष्ट्र की अंधत्व से उपजी कुंठाएं ,
तत्पश्चात सिंहासन पाने की लोलुपता ने ।
अति महत्वाकांक्षी धृतराष्ट्र ने अपनी ,
अभिलाषाएं पुत्र दुर्योधन में स्थांतरित कर दी ,
जोर पकड़ा फिर दुर्योधन की ज़िद ने ।
दुर्योधन की ज़िद बनी पांडवों के प्रति द्वेष ,
और उसे हवा दी मामा शकुनि की कुचालों ने ।
मामा शकुनि के कुचक्र ने सबको लपेटे में लिया,
धृतराष्ट्र और कौरव भाइयों को किया पथभ्रष्ट ।
और जायदा भयंकर रूप धारण किया वैमनस्य ने ।
पांडवों से उनके अधिकार और सुख छीनने का ,
तत्पश्चात राज पाट छीनने का भयानक षड्यंत्र ।
पहले उनको वनवास भेजने फिर उनकी सामूहिक मृत्यु के कुचक्र ने ।
पांडवों ने पिता की मृत्यु के बाद क्या क्या न सहा ,
माता कुंती के साथ उन्होंने दुख संताप बहुत सहे ।
कभी मानसिक पीड़ाएं मिली कभी शारीरिक कष्ट झेले,
भगवद कृपा से मृत्यु के मुंह से भी निकल आए ,
मगर सबसे जायदा आहत किया चौसर की क्रूर चालों।ने ।
नहीं खेलना था जब जानते ना थे ये मक्कारी भरा खेल
खुद भी हारे ,राज पाट हरा,भाई भी हार दिए थे,
लेकिन दाव पर घर की लाज को नहीं लगाना था।
यह तो कान्हा ने बचाई लाज द्रोपदी की ,
मगर द्रोपदी के संतप्त हृदय ने करवाया महाभारत।
इतना कुछ होने पर भी आखरी बार हक मांगना चाहा,
सुलह करवाने कान्हा को समझाने पांडवों ने भेजा ।
मगर अभिमानी और दुष्ट दुर्योधन कहां मानने वाला था
यह महाभारत करवाया कौरव वंश के हठ ने ।
आखिर तो महाभारत युद्ध होकर रहा,
अधर्म ,संस्कारहीनता ,षड्यंत्रों , ईर्ष्या द्वेष ,
अन्याय ,व्याभिचार , मान मर्यादा का हनन आदि सब
का अंत लाजमी था ।
कौरव वंश के साथ ही सब समाप्त हो गया।
इन सबकी वजह से ही हुआ महाभारत का युद्ध ।