Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2021 · 2 min read

महाभारत का युद्ध क्यों हुआ ?

धृतराष्ट्र की अंधत्व से उपजी कुंठाएं ,
तत्पश्चात सिंहासन पाने की लोलुपता ने ।

अति महत्वाकांक्षी धृतराष्ट्र ने अपनी ,
अभिलाषाएं पुत्र दुर्योधन में स्थांतरित कर दी ,
जोर पकड़ा फिर दुर्योधन की ज़िद ने ।

दुर्योधन की ज़िद बनी पांडवों के प्रति द्वेष ,
और उसे हवा दी मामा शकुनि की कुचालों ने ।

मामा शकुनि के कुचक्र ने सबको लपेटे में लिया,
धृतराष्ट्र और कौरव भाइयों को किया पथभ्रष्ट ।
और जायदा भयंकर रूप धारण किया वैमनस्य ने ।

पांडवों से उनके अधिकार और सुख छीनने का ,
तत्पश्चात राज पाट छीनने का भयानक षड्यंत्र ।
पहले उनको वनवास भेजने फिर उनकी सामूहिक मृत्यु के कुचक्र ने ।

पांडवों ने पिता की मृत्यु के बाद क्या क्या न सहा ,
माता कुंती के साथ उन्होंने दुख संताप बहुत सहे ।
कभी मानसिक पीड़ाएं मिली कभी शारीरिक कष्ट झेले,
भगवद कृपा से मृत्यु के मुंह से भी निकल आए ,
मगर सबसे जायदा आहत किया चौसर की क्रूर चालों।ने ।

नहीं खेलना था जब जानते ना थे ये मक्कारी भरा खेल
खुद भी हारे ,राज पाट हरा,भाई भी हार दिए थे,
लेकिन दाव पर घर की लाज को नहीं लगाना था।
यह तो कान्हा ने बचाई लाज द्रोपदी की ,
मगर द्रोपदी के संतप्त हृदय ने करवाया महाभारत।

इतना कुछ होने पर भी आखरी बार हक मांगना चाहा,
सुलह करवाने कान्हा को समझाने पांडवों ने भेजा ।
मगर अभिमानी और दुष्ट दुर्योधन कहां मानने वाला था
यह महाभारत करवाया कौरव वंश के हठ ने ।

आखिर तो महाभारत युद्ध होकर रहा,
अधर्म ,संस्कारहीनता ,षड्यंत्रों , ईर्ष्या द्वेष ,
अन्याय ,व्याभिचार , मान मर्यादा का हनन आदि सब
का अंत लाजमी था ।
कौरव वंश के साथ ही सब समाप्त हो गया।
इन सबकी वजह से ही हुआ महाभारत का युद्ध ।

Language: Hindi
5 Likes · 6 Comments · 863 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
■आज का सच■
■आज का सच■
*प्रणय*
स्वामी ब्रह्मानंद (स्वतंत्र भारत के पहले संत सांसद)
स्वामी ब्रह्मानंद (स्वतंत्र भारत के पहले संत सांसद)
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
Indu Singh
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
खुशियों को समेटता इंसान
खुशियों को समेटता इंसान
Harminder Kaur
दुनिया
दुनिया
Mangilal 713
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
3654.💐 *पूर्णिका* 💐
3654.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अल्फाज़.......दिल के
अल्फाज़.......दिल के
Neeraj Agarwal
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
VINOD CHAUHAN
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
पूर्वार्थ
झूठे से प्रेम नहीं,
झूठे से प्रेम नहीं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
Ravi Prakash
★आखिरी पंक्ति ★
★आखिरी पंक्ति ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
प्राण प्रतीस्था..........
प्राण प्रतीस्था..........
Rituraj shivem verma
दोहा त्रयी. . . शीत
दोहा त्रयी. . . शीत
sushil sarna
***आकाश नीला है***
***आकाश नीला है***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
यही है हमारा प्यारा राजनांदगांव...
TAMANNA BILASPURI
"वेश्या"
Dr. Kishan tandon kranti
किस्सा कुर्सी का - राज करने का
किस्सा कुर्सी का - राज करने का "राज"
Atul "Krishn"
The Unseen Dawn: A Tribute to Subhas Chandra Bose
The Unseen Dawn: A Tribute to Subhas Chandra Bose
Mahesh Ojha
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
अश'आर हैं तेरे।
अश'आर हैं तेरे।
Neelam Sharma
प्रभु हैं खेवैया
प्रभु हैं खेवैया
Dr. Upasana Pandey
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
भारतवर्ष महान
भारतवर्ष महान
surenderpal vaidya
Loading...