Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2022 · 3 min read

महापंडित ठाकुर टीकाराम 18वीं सदीमे वैद्यनाथ मंदिर के प्रधान पुरोहित

16 वीं शताब्दीक एकटा प्रधान पुरोहित परम्पराक जानकारी झारखंडक देवघरमे अवस्थित बारह ज्योतिर्लिंगक शिलालेखक आधारपर भेटैत अछि। एकर चर्चा इतिहासकार राखलदास बनर्जी सेहो केने छथि।

ठाकुर टीकाराम ओझा 18 म शताब्दी मे एहि बाबा वैद्यनाथ मन्दिरक एकटा मठ प्रधान बनलाह। तखन एहि पदक नाम ‘मठ-प्रधान’ वा ‘सरदार पंडा’ सन नहि छल। ओहि समय एहि पदक नाम छल ‘मठ उच्चैर्वे। एकर अर्थ मठक प्रमुख लोक। एहि मठक जानकारी ओहि ठामक मन्दिर सभमे गाड़ल शिलालेखसँ प्राप्त अछि।

वैद्यनाथ मन्दिरमे एहि पुरोहितक परम्परासँ पहिने नाथ पंथि केँ अधिकार छल ,जकरा मिथिलाधीश ओइनवार वंशक राजा लोकनिक सहायतासँ चण्डेलवंशी राजपूत गिद्धौर राजा द्वारा कमजोर कैल गेल ।16 म शताब्दीक उत्तरार्धमे बंगालक शासन अकबरक हाथमे रहल। एहि समय कछवाहा कुल क राजा मान सिंह क नियंत्रण एहि क्षेत्र मे बनल रहल। लगभग 1587 ई. अकबर हुनका रोहतासक जागीर देलनि। ई लोकनि
एहि क्षेत्रसँ जुड़ल रहलाह ।

मान सिंह एहि कालखंडमे भागलपुरक अति प्राचीन बुढा़नाथ मन्दिर लग ‘मान मन्दिर’ बनौलनि, जे आइयो विद्यमान अछि। लगले हुनकर घोड़ा (अस्तबल) सेहो अछि, जे आब जमीन माफियाक नजरि पर आबि गेल अछि।मान सिंह द्वारा निर्मित बहुत रास संरचना एहि क्षेत्र मे भेटैत अछि जाहि मे ‘राजमहल किला’ सेहो शामिल अछि |अपन उड़ीसा यात्राक क्रममे ओ वर्ष 1590 मे देवघरसँ गुजरल छलाह। एहिठाम हिनका बाबा वैद्यनाथक दर्शन भेलनि। एहि ठाम हुनका पानिक अभावक अनुभूति भेलनि । शिवगंगाक छोट छीन स्वरुपके कारण श्रद्धालु लोकनिकेँ जे कष्ट भऽ रहल छल। ताहि केर देखैत एकर पश्चिममे अवस्थित एकटा छोट सन पोखरिकेँ बढा कऽ ओकर दक्षिणी तट बलुआ पाथरसँ (सैंडस्टोन) मढ़वा देल गेल। तकर बाद ई घाट बहुत सुन्दर भऽ गेल। ई घाट एहि मन्दिर लग छल। ओतय सँ ओ उड़ीसा गेलाह। मानसिंहक उदारताक कारण एहि सरोवरक नाम ‘मानसिंही ’ राखल गेल। एकर चर्चा ‘संतल परगना गजेटियर’ आ ‘मन चरितावली’ मे सेहो भेल अछि |

एहि समय बंगाल प्रान्तक देवघरक क्षेत्र गिद्धौरक अधीन छल। गिद्धौरसँ तिरहुत सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण छल। मानसिंहक पंडित लोकनि सेहो मैथिल छलाह। ओतुका पंडित लोकनिक चर्चा अनादि काल सँ दूर-दूर धरि छल। बंगालक शाक्त परम्पराक प्रणेता सेहो मैथिल छलाह। आइ बंगाल कए ‘शाक्त परंपरा ‘क शिखर मानल जाइत अछि। राजा मनसिंहक समयमे मिथिलाधीशसँ अनुनय-विनय पश्चात मैथिल पंडितक नियुक्ति भेल।

बाबा वैद्यनाथक नगरी वैद्यनाथ धाम केँ ओहि जमानामे ‘देवघर’ नाम नहि भेटल छल। जे ‘वैद्यनाथ’ नाम सँ प्रसिद्ध भेल । एहिकेँ प्रति मैथिल लोकनि अपार श्रद्धा राखैत छलाह। ई ओहि पुरालेख सभसँ सेहो भेटैत अछि जे मैथिल लोक 14म-15म शताब्दीसँ पहिने सेहो बाबा वैद्यनाथसँ संतान माँगै खातिर जाए छलाह। महाकवि विद्यापतिक रचनामे बैजू/शिवक उपस्थिति सेहो बाबा वैद्यनाथक प्रति हुनक निष्ठा कए निष्ठाक निरूपित करैत छै ।गिद्धौर राजा जखन मिथिलाक ओइनवार वंशक शासक सभसँ योग्य पुरोहितक माँग कएलन्हि तँ ओ नरौछ ग्राम के गढ़ बेलऊंच मूल के भारद्वाज गोत्रीय ब्राह्मणकेँ बैद्यनाथक शास्त्रीय ढंगसँ पूजा करबाक हेतु पठौलन्हि। एहि समय हुनका नाथ पंथी सभसँ बहुत विवाद भेल छल ! नाथ अस्त्र-शस्त्र चलाबय मे बहुत निपुण छलाह । 1770 ई.क संन्यासी विद्रोहक समयमे सेहो ई लोकनि बहुत उग्र छल, मुदा देवघरमे तहिया हुनका लोकनिक सह-अस्तित्वक ​​समझौता छलनि।

1596 मे रघुनाथ एहि ठामक मठक पंडित छलाह। कहल जाइत अछि जे ओ ओही भारद्वाज कुलक छलाह जेकरा खण्डवाला कुलक मिथिलाधीश महामहोपाध्याय महेश ठाकुर एतय पठौने छलाह।वर्ष 1744 मे खण्डवला राजा नरेन्द्र सिंह वैद्यनाथ पहुंचलाह ! ओ अपन संग अपन प्रधान पुरोहित केँ अनने छलाह। कारण एहिठाम
मोनजोकर शास्त्रोक्त तरीका सँ पूजा करनिहार पंडितक अभाव छल। गरीबी बेसी छल आ एक-दोसर के प्रति
संघर्ष सेहो छल। महाराज नरेन्द्र स्वयं काली आ शारदाक साधक छलाह। युद्धकलामे सेहो प्रवीण छलाह। ओ चारिटा युद्ध लड़लनि। सब में विजयी होला । ओ एकटा उत्कृष्ट दाता सेहो छलाह।

वैद्यनाथ सँ घुरबाक समय गिद्धौर राजा वैद्यनाथक पूजाक हेतु योग्य पंडित देबाक अनुरोध केलनि।
ओ अपन राजपुरोहित प्रन्नाथक पुत्र टीकारामकेँ एतुका मुख्य पुरोहितक रूपमे गिद्धौर राजाकेँ सुझाव देला ।

विदित हो जे ओइनि वंशक आरंभसँ दिगउन्ध
मूलक शांण्डिल्य गोत्रिय ब्राह्मण ठाकुर कामेश्वर राजपुरोहित भेल छल, जिनकर वंशसँ
प्राणनाथ छलाह।वर्ष 1745 मे ठाकुर टीकाराम जी केँ सम्मानक संग आनल गेल आ मुख्य पुरोहितक पद सौंपल गेल। एहि समय धरि एहि मंदिर परिसर मे कुल 5 टा मंदिर छल। छठम मन्दिरक रूपमे गणेश मठक निर्माण वर्ष 1762मे सम्पन्न भेल छल, जाहिमे एकर प्रशंसामे ठाकुर टीकारामक नाम उत्कीर्ण अछि।

वैद्यनाथ मन्दिरमे पूजाक लेल मैथिल पंडितक ई नियुक्ति पूर्वमे कतेको बेर भेल छल। मुदा किछु गोटे असुरक्षाक भावसँ भागि गेल छलाह , तँ किछु दृढ़ रहलाह , मुदा आपसमे असहमतिमे ओझरा गेलासँ ओ सभ अपन आध्यात्मिक शक्तिसँ क्षीण भऽ गेल छलाह।

उदय शंकर
इतिहासकार

छवि : गणेश मंदिर शिलालेख

(क्रमशः) २.

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 4 Comments · 901 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तन मन में प्रभु करें उजाला दीप जले खुशहाली हो।
तन मन में प्रभु करें उजाला दीप जले खुशहाली हो।
सत्य कुमार प्रेमी
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनेक रंग जिंदगी के
अनेक रंग जिंदगी के
Surinder blackpen
विदाई
विदाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*मां*
*मां*
Dr. Priya Gupta
#प्रेमी मित्र
#प्रेमी मित्र
Radheshyam Khatik
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
Bidyadhar Mantry
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
Shubham Pandey (S P)
कैसे हमसे प्यार करोगे
कैसे हमसे प्यार करोगे
KAVI BHOLE PRASAD NEMA CHANCHAL
■सत्ता के लिए■
■सत्ता के लिए■
*प्रणय*
" हल "
Dr. Kishan tandon kranti
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
Sonit Parjapati
एहसास
एहसास
Kanchan Khanna
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
VINOD CHAUHAN
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
शेखर सिंह
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3245.*पूर्णिका*
3245.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इश्क़ जब बेहिसाब होता है
इश्क़ जब बेहिसाब होता है
SHAMA PARVEEN
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
कवि रमेशराज
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
Rj Anand Prajapati
अब शिक्षा का हो रहा,
अब शिक्षा का हो रहा,
sushil sarna
HAPPINESS!
HAPPINESS!
R. H. SRIDEVI
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
मुझसे   मेरा   ही   पता   पूछते   हो।
मुझसे मेरा ही पता पूछते हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
संवरना हमें भी आता है मगर,
संवरना हमें भी आता है मगर,
ओसमणी साहू 'ओश'
Prapancha mahila mathru dinotsavam
Prapancha mahila mathru dinotsavam
jayanth kaweeshwar
Loading...