Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2023 · 4 min read

महादान

महादान

डॉ. धर्मेंद्र कुमार जी की आकस्मिक मौत की खबर जंगल के आग की तरह नगर तो क्या, पूरे देश में फैल गई। सब तरफ शोक की लहर छा गई। आसपास के लोग श्रद्धांजलि देने उनके आश्रम की ओर उमड़ पड़े। सोसल और प्रिंट मीडिया के साथ-साथ प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय न्यूज चैनलों में लोग भावभीनी श्रद्धांजलि देने लगे।
आश्रम में रहने वाले लोग स्तब्ध थे। रात के दस बजे तक सबके साथ सामान्य रूप से हँस-बतिया कर सोने गए आश्रम के संचालक धर्मेंद्र जी सुबह चार बजे अचानक से कराहने लगे। आवाज सुनकर साथ में सो रहे उनके दोनों रूम पार्टनर समझ गए कि धर्मेंद्र कुमार जी को दिल का दौरा पड़ा है। वे लोग कुछ समझ पाते, इससे पूर्व उनकी गर्दन एक ओर लुढ़क गई। आश्रम में कोहराम मच गया। उनके दुःख का पारावार न रहा।
पिछले लगभग 15 साल से धर्मेंद्र कुमार जी ने अपनी पत्नी की देहांत के बाद अपने फार्महाउस को ही एक वृद्धाश्रम का रूप दे दिया था, जहाँ 20-21 वयोवृद्ध हँसी-खुशी अपने जीवन-संध्या बिता रहे थे। धर्मेंद्र कुमार जी उन्हीं के साथ हँसी-खुशी रहा करते थे। शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद वे आश्रम परिसर स्थित अपनी क्लीनिक में दिनभर मरीजों को देखते और सुबह-शाम आश्रम के लोगों के साथ हँसते-बतियाते, टी. व्ही. देखते। कभी-कभी वे सभी मिलकर टी.व्ही. पर पर ही फिल्में देखते। धर्मेंद्र जी अपनी पूरी कमाई और पेंशन की राशि आश्रम पर खर्च कर देते। डॉ. धर्मेंद्र की अच्छे व्यवहार की वजह से सभी आश्रमवासी उन्हें परिजन की तरह मानते थे। उनका एकमात्र बेटा राजेश राजधानी के एक सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में डॉक्टर था। उन्हें धर्मेंद्र कुमार जी की आकस्मिक निधन की खबर पहुँचाई गई।
आश्रम के मैनेजर संदीप जी, जो डॉ. धर्मेंद्र के रूम पार्टनर भी थे, से खबर सुनते ही डॉ. राजेश ने कहा, “अंकल जी, बहुत ही मुश्किल घड़ी है मेरे लिए। एकमात्र पुत्र होकर भी अपने पिताजी को मुखाग्नि नहीं दे पाऊँगा। पापाजी की अंतिम इच्छा और मानवता की सेवा मेरी इच्छा से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए प्लीज आप पिताजी की अंतिम इच्छा का पालन करने में हमारी मदद करिए। आपको तो पता ही है कि मेरे पिताजी ने मरणोपरांत नेत्रदान के साथ-सथ अंगदान करने का भी फॉर्म शासकीय जिला चिकित्सालय सब्मिट किया था। मैं जिला चिकित्सालय को इंफार्म कर रहा हूँ। जब हॉस्पिटल के स्टाफ पहुँचे, आप उन्हें सपोर्ट कीजिएगा और पापा की बॉडी हैंड ओवर कर दीजिएगा। मै भी यहाँ से सपरिवार तत्काल निकल रहा हूँ। मुझे वहाँ पहुँचने में 6-7 घंटे लग जाएँगे। तब तक आप वहाँ का सिचुएशन आप ही संभालिए।”
“पर बेटा, यहाँ सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो चुकी है। लोग डॉ. धर्मेंद्र कुमार जी को अंतिम श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े हैं। उनका क्या करें ?” संदीप जी ने कहा।
“आप उन्हें समझाइए। पापा जी की अंतिम इच्छा लोगों को बताइए। पापा जी की एक फोटो आश्रम के सामने लगा दीजिए। मैं अभी फोन रखता हूँ। तुरंत डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को खबर करता हूँ। पापा जी की अंतिम इच्छा थी कि उनकी देहांत के बाद उनके शरीर के अधिकाधिक पार्ट्स डोनेट कर दिए जाएँ और उनकी डैड बॉडी को जलाने की बजाय स्थानीय मेडिकल कॉलेज को दे दी जाए, ताकि कॉलेज के स्टूडेंट्स के काम आएँ।” डॉक्टर राजेश ने कहा और फोन काट दिया।
लगभग सात घंटे बाद डॉ. राजेश अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ आश्रम पहुँचे। तब तक स्थानीय जिला अस्पताल की टीम डॉ. धर्मेंद्र कुमार जी की बॉडी ले जा चुकी थी। डॉ. राजेश कुमार को देखकर आश्रम के लोग फुटफुट कर रोने लगे।
डॉ. राजेश ने दुःखी मन से कहा, “पापा जी का यूँ अचानक जाना हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी भरपाई करना संभव तो नहीं है, फिर भी मेरी कोशिश रहेगी कि आप लोगों को अपने बेटे की कमी कभी न खले। आज से आप सभी मेरे पिताजी की तरह ही रहेंगे और मैं आप सबका बेटा बनकर रहने की कोशिश करूँगा। पापाजी ने आश्रम के संचालन के लिए एक ट्रस्ट तो बना ही दिया है। ट्रस्टी भी आप लोगों में से हैं। उसे आगे भी विधिवत जारी रखेंगे। मैं और मेरी पत्नी डॉ. रजनी हर महीने अंतिम रविवार को यहाँ आया करेंगे और नॉमिनल शुल्क पर मेडिकल जाँच शिविर का आयोजन करेंगे। इससे जो भी आमदनी होगी, वह आश्रम के काम आएगा। हमने यह निर्णय लिया है कि हमारी आधी सेलरी इस आश्रम को डोनेट करेंगे। और हाँ, हम दोनों ने बहुत ही सोच समझ कर पापाजी की भाँति ही मरणोपरांत नेत्रदान के साथ-साथ अपना शरीर स्थानीय मेडिकल कॉलेज को डोनेट करने का निर्णय लिया है। इसके लिए हम अभी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल जा रहे हैं। वहाँ हम पहले फॉर्म जमा करेंगे, फिर पापाजी के अंतिम दर्शन करेंगे। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
कहते-कहते डॉ. राजेश कुमार का गला भर आया था। उनकी बातें सुनकर मैनेजर संदीप ने कहा, “बेटा, आप लोगों के साथ-साथ मैं भी चलूँगा। मुझे भी मरणोपरांत नेत्रदान और अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को डोनेट करना है।”
“मैं भी चलूँगा आपके साथ। मुझे भी मरने के बाद नेत्रदान अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को डोनेट करने का फॉर्म सब्मिट करना है।”
“मैं भी…. मैं भी…. मैं भी….”
आश्रम के लोग ही नहीं, बल्कि डॉ. धर्मेंद्र कुमार जी को श्रद्धांजलि देने आए दर्जनों लोगों की बात सुनकर डॉ. राजेश ने कहा, “अच्छी बात है कि आप सभी मरणोपरांत नेत्रदान और अपनी डेडबॉडी मेडिकल कॉलेज को डोनेट करना चाहते हैं। वैसे भी डेडबॉडी को जला या दफना देने से बेहतर है कि उसका मानवता के हित में कुछ उपयोग हो जाए। मैं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की टीम को यहीं बुला लेता हूँ। हम सभी अपना फॉर्म यहीं भरकर उन्हें सुपुर्द कर देंगे।”
और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की टीम को वहीं बुला लिया। उस दिन रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने मरणोपरांत नेत्रदान और देहदान करने का फॉर्म जमा किया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Language: Hindi
215 Views

You may also like these posts

4122.💐 *पूर्णिका* 💐
4122.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहा
दोहा
sushil sarna
■ संपर्क_सूत्रम
■ संपर्क_सूत्रम
*प्रणय*
मेरे लफ़्ज़ों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे लफ़्ज़ों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
नम्रता पर दोहे
नम्रता पर दोहे
sushil sharma
सौंदर्य छटा🙏
सौंदर्य छटा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शिकवे शिकायत की
शिकवे शिकायत की
Chitra Bisht
मानी बादल
मानी बादल
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
आर.एस. 'प्रीतम'
"रक्त उज्जवला स्त्री एवं उसके हार"
उमेश बैरवा
झूठ को सच बनाने की कोशिश में,
झूठ को सच बनाने की कोशिश में,
श्याम सांवरा
है वक़्त बड़ा शातिर
है वक़्त बड़ा शातिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
Rj Anand Prajapati
गुनगुनाए तुम
गुनगुनाए तुम
Deepesh Dwivedi
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
- बेबस निगाहे -
- बेबस निगाहे -
bharat gehlot
मानवता
मानवता
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जीऊं जितने साल मैं ,रहे पिया का साथ
जीऊं जितने साल मैं ,रहे पिया का साथ
RAMESH SHARMA
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
gurudeenverma198
प्यार दर्द तकलीफ सब बाकी है
प्यार दर्द तकलीफ सब बाकी है
Kumar lalit
श्रीराम कृपा रहे
श्रीराम कृपा रहे
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
Ravi Prakash
नैतिकता का इतना
नैतिकता का इतना
Dr fauzia Naseem shad
इश्क़ का कारोबार
इश्क़ का कारोबार
Mamta Rani
अपनी आवाज में गीत गाना तेरा
अपनी आवाज में गीत गाना तेरा
Shweta Soni
जीवन
जीवन
Mangilal 713
एक दीया जलाया मैंने
एक दीया जलाया मैंने
Dheerja Sharma
नेशनल education day
नेशनल education day
पूर्वार्थ
Loading...