महाकाल
वो समय है ,असमय है ,काल भी ,महाकाल भी
प्रकाश है ,अन्धकार है ,मेरे पालनहार भी
वो परब्रह्म हैं , परतत्व हैं ,कल्याणमय , हलाहल भी
परिपूर्ण है ,अपूर्ण है ,पवित्र भी, श्मशान भी
वो मेरे प्राण हैं ,महाप्राण हैं ,अघोर भी ,महाघोर भी
भाल चन्द्र है ,प्रचंड है स्वयं सिद्ध भी , नटराज भी
वो भस्म हैं ,रस्म हैं ,संक्षेप भी ,विस्तार भी
पिंगलाक्ष है , नील कंठ है वैश्वानार भी त्रिनेत्र भी
वो सृजन हैं ,संहार है ,नृत्य भी ,संग्राम भी
वीरभद्र है ,महादेव हैं चिन्मय भी उन्माद भी
वो अक्षर है ,वेद हैं ,स्नेह भी, क्रोध भी
शंकर है ,आशुतोष है , कर्पूर गौर भी ,कालकुट भी
वो मंगलमय है ,अमंगल है , उज्ज्वल भी ज्वाला भी
काल भैरव है,विश्वनाथ है ,मेरे भी ,तुम्हारे भी
वो सदाशिव है ,हितकारी है , भेद शून्य भी ,अगम्य भी
योगेश्वर है , भूतेश्वर है ,सहज भी असहज भी
मेरे प्रिय हैं ,सर्वेश्वर है , जटाधर भी ,गंगाधर भी
बैद्यनाथ है , किरात है , देवों के भी ,मनुज के भी
दीपाली कालरा