महाकाल का चक्र चल रहा 【मुक्तक】
महाकाल का चक्र चल रहा 【मुक्तक】
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रंग बदलते रहते मन के कभी हास्य है-रोना है
कभी कोठियाँ मिलीं कभी मिल पाता नहीं बिछोना है
महाकाल का चक्र चल रहा कुछ खोने-कुछ पाने का
सबसे बड़ा दर्द इस दुनिया में अपनों को खोना है
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451