महाकवि कालिदास।
महाकवि कालिदास।
-आचार्य रामानंद मंडल
मिथिला मे महाकवि
पंडित कालिदास भेलन महान।
उच्चैठ दूर्गा स्थान
मधुबनी भेलैन हुनक ठाम।
संस्कृत पाठशाला के
रहलन मूर्ख अनुचर छात्रावास ।
काटि रहलन रहे
बैठल गाछ के डाल।
देखिलन धूर्त पंडित
विधोतमा से हारल पंडित।
छल से पानिग्रहन
करैलन कालिदास के संग।
सुहागरात मे भेल
परिचय मूर्ख कालिदास संग।
हमर संग मिलत
जौं बनब विद्वत जन।
घुरि अयला पाठशाला
करे लगला फेर अनुचारा।
आयल भादव सांझ
चमकैत गरजैत बरसैत मेघ ।
आयल बाढि नद
डूबल चांचर खेत खरिहान।
के बारैत दीप
मैया के दूर्गा स्थान।
सभ कैलन विचार
बारैत मूरख कालिदास दीप।
छोड़त चिह्र दीप
पोतलैन दूर्गा मुख कारीख।
खुश दूर्गा देलन वरदान
जेते पुस्तक छूवे आइ रात।
सभ जयतो कंठाग्र
छूएत सरस्वती बसगेल कंठाग्र।
कालिदास कवि महान
रचलन अभिज्ञान शाकुन्तलम मालविकाग्निमित्र।
आ रचलन मेघदूतम
रचलन ऋतुसंहार कुमारसंभव रघुवंशम्।
पैलन विद्योतमा पियार
प्रसिद्ध भे गेलन संसार।
मिथिला मे कवि महान
रामा महाकवि कालिदास महान।
स्वरचित @रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल, सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।