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15 May 2023 · 1 min read

महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं

महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं भवितुम् अर्हति, यः गङ्गा इव सर्वेषां हितस्य साधकः अस्ति, न तु मृषावादी।
अथार्थ महाकवि तुलसी दास कह गए
कीर्ति ,कविता और ऐश्वर्य जीवन
में वही सार्थक कर सकता हैं जो
गंगा के सामान सबका हित
साधक हो ना की मिथ्यवादी
#आध्यात्मिक_काव्य
#Suprabhatham #Motivational #MotivationalThought
#Thoughtoftheday #Spiritual_Poetry

616 Views
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