Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2020 · 2 min read

महर्षि मेंहीं और महात्मा बुद्ध

महर्षि मेंहीं और महात्मा बुद्ध : एक तुलनात्मक विवेचन !

हिन्दू राजकुमार सिद्धार्थ के कालांतर में गौतम बुद्ध और फिर महात्मा बुद्ध और अंततः भगवान बुद्ध हो निर्वाण हो जाना… 2,561 वर्ष पहले किनको पता था कि भारत के बिहार (यह नाम बौद्ध विहार के कारण है) के ‘गया’ नामक हिन्दू के महानतम ‘धाम’ में एक राजा का संत बन जाना, क्योंकि हिन्दू भी इस भगवान को भगवान विष्णु के 9 वें अवतार के रूप में मानते हैं, न कि अलग पंथ के रूप में !

यही कारण है, भारत में बौद्ध धर्मावलंबियों की संख्या कम है । कनफ्यूशियस के चीन ने इसे राजधर्म के रूप में अपनाये हुए हैं, किन्तु उनकी विस्तारवादी नीति (जो दूसरे की जमीन को जबरिया अपना कह रहे हैं) से स्पष्ट है कि चीन बुद्धत्व के मार्ग में ही सबसे बड़े रोड़े हैं । उनकी कथनी और करनी -दोनों ही स्थितियाँ दूसरे की बहू-बेटी पर नज़र गड़ाए जैसे हैं।

वैशाख पूर्णिमा को सिद्धार्थ का जन्म, फिर इसी दिन गया में बुद्ध बन जाना तो एकसाथ बुद्ध पूर्णिमा सहित बौद्ध गया (बोधगया) नामकरण को अमरत्व प्रदान करता है, इसे सहित पटना जंक्शन के समीप बुद्ध करुणा पार्क तो जाइये, कम से कम एक बार ! मैंने दोनों स्थल सैंकड़ों बार देखा है ।

… और हाँ, वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को महर्षि मेंहीं की जयंती मनाई जाती है । बुद्ध जन्म लेते ही 7 कदम चले थे, तो मेंहीं के सिर पर जन्मकाल से ही 7 जटाएं थीं । दोनों को बिहार में ज्ञान प्राप्ति, दोनों का जन्म ननिहाल में । एकतरफ ‘धम्मपद’ तो दूजे तरफ ‘सत्संग-योग’ । सिद्धार्थ तो शादी कर लिए थे, किन्तु रामानुग्रह उर्फ मेंहीं अविवाहित थे ! दोनों में कई तुलनाएं प्रतिबद्धता के साथ जुड़ी हैं ।

बौद्ध कोई धर्म नहीं है, बल्कि हिन्दू धर्म की विसंगतियाँ को हटाकर एक निचोड़न है । एक महानतम विचार, जो ‘बुद्धम शरणम गच्छामि’ में जाकर ही खत्म नहीं होती ! क्यों न हम धर्म और जाति से परे की सोचे ?

नास्तिकता भी तो एक विचार है… जोकि किसी धर्म की दकियानूसी पर जीत है… जहाँ तक श्रद्धा और आस्था की बात है, तो जैसे हम माँ को माँ कहने से, पिता को पिता कहने से, सूर्य को सूर्य कहने से रोक नहीं सकते, बिल्कुल ऐसे ही तो धर्म के प्रति नीरव श्रद्धा और आस्था भर रहने चाहिए, अन्यथा गणेश को दूध पिलाने की दकियानूसी भर रह जायेगी । बौद्ध धर्म तब इस मायने में उन्नत है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
207 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरे दर पे आये है दूर से हम
तेरे दर पे आये है दूर से हम
shabina. Naaz
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
"वक्त-वक्त की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
Who Said It Was Simple?
Who Said It Was Simple?
R. H. SRIDEVI
राजनीति के फंडे
राजनीति के फंडे
Shyam Sundar Subramanian
मात पिता का आदर करना
मात पिता का आदर करना
Dr Archana Gupta
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
समझ
समझ
मधुसूदन गौतम
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
धार्मिक इतने बनो की तुम किसी का बुरा न कर सको
धार्मिक इतने बनो की तुम किसी का बुरा न कर सको
Sonam Puneet Dubey
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*तेरी याद*
*तेरी याद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दिल पागल, आँखें दीवानी
दिल पागल, आँखें दीवानी
Pratibha Pandey
हम में सिर्फ यही कमी है,
हम में सिर्फ यही कमी है,
अरशद रसूल बदायूंनी
* जिसने किए प्रयास *
* जिसने किए प्रयास *
surenderpal vaidya
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ओसमणी साहू 'ओश'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
.
.
*प्रणय*
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
ईश्वर से बात
ईश्वर से बात
Rakesh Bahanwal
3224.*पूर्णिका*
3224.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कलयुगी संसार
कलयुगी संसार
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
*
*"माँ वसुंधरा"*
Shashi kala vyas
Loading...