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22 Apr 2019 · 1 min read

महबूब को अपने कभी आहत नहीं करते

जो करते मुहब्बत वो शिकायत नहीं करते
महबूब को अपने कभी आहत नहीं करते

जो दौर नया फोन का चैटिंग का चला है
अब प्रेमिका प्रेमी भी लिखा खत नहीं करते

ये दिल तो रहे ज़िन्दगी भर बच्चे जैसा
हम ही बड़े होकर के शरारत नहीं करते

दिल इतना हमारा यूँ बीमार न होता
जो सूख के ये अश्क बगावत नहीं करते

क्यों काटते रहते हो दलीलों को हमारी
यूँ और किसी से तो वकालत नहीं करते

हम पाएंगें ये कैसे जमाने की नज़र में
जब खुद की ही हम ‘अर्चना’ इज्ज़त नहीं करते

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

4 Likes · 1 Comment · 484 Views
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