महबूब की सोहबत
चार दिन की ज़िंदगी है
इसको क्यों गुजारें नफ़रत में!
आओ करें मुहब्बत हम
भला क्या रखा है सियासत में!!
मंदिर-मस्जिद के दीवाने
क्या इतनी-सी भी बात न जानें!
जन्नत का मज़ा मिलता है
अपने महबूब की सोहबत में!!
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)