महफिलें सजती नहीं
महफिलें सजती नहीं
पायलें बजती नहीं
हो रहे बर्बाद हम
मुख हँसी दिखती नहीं
दौर जो ऐसा चला
बुद्धि भी चलती नहीं
खूब बदला वक्त को
पर तनिक चलती नहीं
है मुसीबत की घड़ी
पर जरा रुकती नहीं
बेवसी मेरी रही
जिन्दगी तजती नहीं
हो गयी धुधली नजर
टेर डग थकती नहीं