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11 Dec 2016 · 1 min read

महफ़िल में राज़दारों की बात करता है

महफ़िल में राज़दारों की बात करता है
प्यार में इश्तहारों की बात करता है

जो प्यालियों के टूटने से टूट गया
कैसे वो सितारों की बात करता है

सर्द हवाओं की गर्मी नहीं देखी शायद
मौसम के इशारों की बात करता है

ख़ुश्बूएं नाकाम हुई जाती हैं या रब
फूलों में खारों की बात करता है

बेचता फिरता है खुद ज़मीर अपना
फिर भी ख़रीदारों की बात करता है

हुई हैं यारियाँ कश्ती से तूफ़ान की
अब तो कौन किनारों की बात करता है

हवाएँ उलफत की रोक के बैठा है
वही दिल की दीवारों की बात करता है

काश ! के झाँक लेता अपनी भी गिरेबान
हँस – हँस के हज़ारों की बात करता है

जब से देखी हैं सरु’ की अदाएँ उसने
नज़रों और नज़ारों की बात करता है

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