महफ़िल में ये निगाहें
महफ़िल में ये निगाहें, तुमको ही देख रही है।
तुम कहाँ हो, मेरी नजरें तुमको ही खोज रही है।।
महफ़िल में ये निगाहें ————————-।।
क्या तुम्हें भी कुछ याद है, जो मैं कह रहा हूँ ।
क्या प्यार है तुमको मुझसे, तुमसे पूछ रहा हूँ।।
खामोशी तेरे लबों की, मुझको बुला रही है।
महफ़िल में ये निगाहें ———————–।।
कुछ भी तो कम नहीं है, मेरे नसीब और चमन में।
पाया है तुमने सब कुछ मुझसे, क्या कलप है तेरे मन में।।
क्या तुम हो मेरे काबिल, मेरी चाह पूछ रही है।
महफ़िल में ये निगाहें ————————–।।
एक ख्याल मेरे मन में,आ रहा है महफ़िल में।
मैं दिखा दूँ तेरी तस्वीर, जो बसी है मेरे दिल में।।
क्या वास्ता है तुमसे, दिलकशी बता रही है।
महफ़िल में ये निगाहें ———————-।।
आबाद है तू लेकिन, आज़ाद तो नहीं है।
आज़ाद हूँ मैं लेकिन, घर बर्बाद नहीं है।।
उदासी तेरे दिल की, तेरी निगाहें कह रही है।
महफ़िल में ये निगाहें ————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)