Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 1 min read

महज सुकरात का डर है

अन्धेरे को उजाले का ,
सुबह को रात का डर है
जिन्होंने मूँद लीं आँखे
उन्हे किस बात का डर है

बहुत कमजोर है आधार
रिश्तोँ की इमारत का
किसी दम ये न ढह जायें
इसे

Language: Hindi
37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अवध  में  प्रभु  राम  पधारें है*
*अवध में प्रभु राम पधारें है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मै मानव  कहलाता,
मै मानव कहलाता,
कार्तिक नितिन शर्मा
गिरमिटिया मजदूर
गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kumar lalit
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
18)”योद्धा”
18)”योद्धा”
Sapna Arora
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
शेखर सिंह
*पछतावा*
*पछतावा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"संयम की रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
Rj Anand Prajapati
फकीर का बावरा मन
फकीर का बावरा मन
Dr. Upasana Pandey
*धनुष (बाल कविता)*
*धनुष (बाल कविता)*
Ravi Prakash
लम्हा-लम्हा
लम्हा-लम्हा
Surinder blackpen
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
Bidyadhar Mantry
इश्क चख लिया था गलती से
इश्क चख लिया था गलती से
हिमांशु Kulshrestha
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
"दिल का हाल सुने दिल वाला"
Pushpraj Anant
लिबास -ए – उम्मीद सुफ़ेद पहन रक्खा है
लिबास -ए – उम्मीद सुफ़ेद पहन रक्खा है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सत्य
सत्य
Dinesh Kumar Gangwar
जब -जब धड़कन को मिली,
जब -जब धड़कन को मिली,
sushil sarna
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
Phool gufran
एक अलग ही दुनिया
एक अलग ही दुनिया
Sangeeta Beniwal
कभी शांत कभी नटखट
कभी शांत कभी नटखट
Neelam Sharma
शायद यह सोचने लायक है...
शायद यह सोचने लायक है...
पूर्वार्थ
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
Vandna Thakur
Loading...