Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2020 · 1 min read

महखने के लिए नवप्रभात जरूरी हैं

महकने के लिए नवप्रभात जरूरी है
***************************

आगे बढना है तो बदलाव जरूरी हैं
ठहराव से हो जाए निजात जरूरी है

रूका जाए गर पानी सदा सड़ जाए
ताजगी हेतु जल में बहाव जरूरी है

राहें बंद हो जाए,मंजिल कहाँ से पाएं
लक्ष्य लब्धि हेतु खुली राहें जरूरी है

भानु बिन कैसे दिन रात कहाँ से पाएं
दिन -रात के लिए सूर्य चाँद जरूरी है

अकेलेपन में अकेले तन्हा मर जाएंगे
जिन्दा रहने के लिए ये मेले जरूरी हैं

बंद दीवारें कमरों की कैदी हमें बनाएं
बंदिशों की जीवन में रिहाई जरूरी है

एकांत में तन्हाई घुन भान्ति खा जाए
जीवन जीने के लिए शहनाई जरूर है

सदा सूनेपन में रहना ही पागल बनाए
खुलेपन में बाहर आवाजाही जरूरी है

एकाकीपन में सारे जल्दी थक जाएंगे
जीवन यात्रा हैतु मेलमिलाप जरूरी है

गम के साये में तो आँसू बहते रहते हैं
खुशियाँ पाने हेतु यह बहारें जरूरी है

बंदिशों की बेड़ियां निराशा में लें जाएं
आजादी के लिए खुली सांस जरूरी है

सुखविंद्र घुटता घुटता घुट ही जाएगा
महकने के लिए नव प्रभात जरूरी है
*****************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Comments · 237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
Kumar lalit
मन की आँखें खोल
मन की आँखें खोल
Kaushal Kumar Pandey आस
चिंतन
चिंतन
ओंकार मिश्र
"भाभी की चूड़ियाँ"
Ekta chitrangini
बेपनाह थी मोहब्बत, गर मुकाम मिल जाते
बेपनाह थी मोहब्बत, गर मुकाम मिल जाते
Aditya Prakash
दो अक्टूबर
दो अक्टूबर
नूरफातिमा खातून नूरी
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
Sakhawat Jisan
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
Rekha khichi
माँ का आशीर्वाद पकयें
माँ का आशीर्वाद पकयें
Pratibha Pandey
भारत माता के सच्चे सपूत
भारत माता के सच्चे सपूत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" भींगता बस मैं रहा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
ज़िंदगी तो ज़िंदगी
ज़िंदगी तो ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
मैं
मैं
Seema gupta,Alwar
राम आ गए
राम आ गए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मैं उड़ना चाहती हूं
मैं उड़ना चाहती हूं
Shekhar Chandra Mitra
व्यथा पेड़ की
व्यथा पेड़ की
विजय कुमार अग्रवाल
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
2799. *पूर्णिका*
2799. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
gurudeenverma198
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
फितरत है इंसान की
फितरत है इंसान की
आकाश महेशपुरी
एक फूल....
एक फूल....
Awadhesh Kumar Singh
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
कांटों से तकरार ना करना
कांटों से तकरार ना करना
VINOD CHAUHAN
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
Dhirendra Singh
* टाई-सँग सँवरा-सजा ,लैपटॉप ले साथ【कुंडलिया】*
* टाई-सँग सँवरा-सजा ,लैपटॉप ले साथ【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
Loading...