महक तुमने क्या किया
मित्रों नमस्कार!
संप्रेषित है एक लघु कथा
शीर्षक: महक
राजू बहुत खुश था आज।खुश हो भी क्यों न,आज उसे अपने बड़े भाई की ससुराल जो जाना था। उसने बाल बगैरह कटवाए, बालों को अच्छी तरह शैंपू किया,और बन संवर कर निकल लिया घर से।रास्ते में,बहुत सारी मीठी यादें, चलचित्र की भांति उसकी आंखों के सामने से गुजरने लगीं।
बात उन दिनों की है जब वह अपने पिता के साथ अपने बड़े भाई की शादी के बाद पहली तीजों पर भाभी के लिए श्रृंगार का सिंधारा लेकर बड़े भाई की ससुराल गया था। वहां उसकी मुलाकात उसकी भाभी की छोटी बहन महक से हुई थी।पहली ही मुलाकात में वह उसे दिल दे बैठा था। देता भी क्यों न,वह खुद भी सुंदर और गठीले बदन का था,कोई भी नवयौवना उसे देखकर आकर्षित हो जाती।
महक तो अपने नाम के अनुरूप ही थी।गदराया बदन,यौवन तो उसके अंग अंग से फूट रहा था। बदन किसी गुलाब के फूल की भांति महक रहा था।कोई भी नवयुवक उसके सम्पर्क में आने पर आकर्षित हुए बगैर नहीं रह सकता था।
पहली ही नजर में दोनों इतना नजदीक आ गये मानों वर्षों से एक दूसरे को जानते हों।राजू दो दिन वहां रुका और उन दो दिनों में ही दोनों की नजदीकियां कब प्यार में बदल गयीं पता ही न चला।
अगले दिन जब राजू अपने पिता के साथ घर वापिस जाने लगा तो महक की आंखों में प्यार, किसी गगरी में ऊपर तक भरे पानी की तरह छलक रहा था। लेकिन राजू महक को उसी स्थिति में छोड़ कर अपने घर वापिस चला गया।
राजू घर पहुंचा ही था कि महक का फोन आ गया था। फिर क्या था दोनों ने खूब बातें की और धीरे धीरे उनका प्यार प्रगाढ होता चला गया। दोनों एक दूसरे के साथ जीने मरने की बातें करने लगे। इस बीच उन्होंने प्यार का इजहार करने के लिए ,एक दूसरे को , न जाने कितने ही भावना भरे पत्र भी लिख डाले।यह सब चल ही रहा था कि महक का प्रशासनिक सेवा में चुने जाने का परिणाम आ गया। अब क्या था वह आसमान में उड़ने लगी और इसके सामने उसे राजू का प्यार बौना नजर आने लगा।
भविष्य की चमक में, उसने अपने प्यार को छोड़ने का निश्चय कर लिया और “कुछ सूचना” देनी है कहकर , उसने राजू को फ़ोन करके बुला लिया।यह सूचना पाकर राजू का मुंह खुला का खुला रह गया और एक शव्द ही निकल पाया–महक
तुमने क्या किया!!
@स्वरचित
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