महके सुने मयखाने
****** महके सूने मयखाने ******
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महके सूने ये फिर से मयखाने हैं,
टूटा दिल ले कर आये दीवानें हैं।
खोये – खोये रहते प्यारी बातों में,
मस्ती में मुस्कराते दो मस्तानें हैं।
कच्ची कलियाँ जैसे खिलती हैं आई,
यौवन में डूबे पंछी परवाने हैं।
फूलों से खिलतें रहते हैं बागों में,
प्रेमी लगते तो जाने – पहचाने है।
मनसीरत तो खाली है खोकर आया,
आशिक तो भरते – रहते हरजाने हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)