महके फूल गुलाब
***दोहा मुक्तक (महके फूल गुलाब) ***
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गुलाबी सुर्ख़ औष्ठ पर,महके फूल गुलाब।
मंद मधुरिम मुस्कान का,कोई नहीं जवाब।।
गोरे – गोरे गाल पर,चमकता काला तिल।
देख – देख कर मुग्ध हो, आहें भरता दिल।।
गेसुओं से भरी-भरी,भूरी – भूरी ऑंख।
नशीले नैन मय भरे,जो देखे वो राख।।
मृगनयनी कातिल अदा,यौवन भरे उफान।
मनसीरत मूर्छित हुआ ,आया है तूफान।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)