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7 Mar 2022 · 1 min read

महकना तो हम भी चाहते थे __ मुक्तक

महकमा तो सारा ही खुशबू से तर था।
मगर रुतबा तो हमारा सबसे इतर था।
महकना तो हम भी चाहते थे साथ में उनके ही,
इत्र जो लाए थे वे वह कहां बेहतर था।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 166 Views
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