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10 Aug 2022 · 1 min read

महंगाई….

महंगाई पर जनता की चीख
को वे ही बता रहे हैं व्यर्थ
जनता ने मत देकर जिन्हें
बनाया सत्ता के लिए समर्थ
सत्ता शीर्ष पर बैठकर भूले
वेे लोकतंत्र के सभी आदर्श
गैर वाजिब लगने लगा उन्हें
जनसमस्याओं पे खुला विमर्श
अर्थव्यवस्था रपट रही है क्यों
कैसे आएगी इसमें नई जान
संसद के सदनों में बहस को
तैयार नहीं सत्ता के श्रीमान

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 163 Views
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