महंगाई
पवन वेग सीआई,
सुरसा सम बदन बढ़ाई।
शहर गांव पर छाई,
कमरतोड़ महंगाई।।
आवश्यकता इस की जननी,
दिन दुगनी बड़े चौगुनी।
निर्धन वर्ग से आवाज आई
हाय कमरतोड़ महंगाई।
धन वालों को धनी बनाती,
निर्धनों को निर्धन बनाती।
नारायण अहिरवार
(अंशु कवि)
होशंगाबाद मध्य प्रदेश