मस्तान मियां
ताजमहल का राज़ बताकर खूब हँसे मस्तान मियाँ
मुर्दा दिलों में आग लगाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
ज़ोर-ज़बर से इश्क न होये, राज न होये ज़ोर-ज़बर
लाल किला को आँख दिखाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
फिक्र किसे जो राह दिखाये लोग भटकते रोज यहाँ
बारादरी में राह दिखाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
नाम जपन पर ज़ोर नहीं पर नेक चलन पर जोर दिया
रंग महल को आग लगाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
राजभवन की शान बढ़ी या शान घटी मालूम नहीं
राजभवन में रंक बिठाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
पीर-पयंबर एक न देखा दीन-दुखी पर ध्यान दिया
ज़िन्दा बुतों को दूध पिलाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
गाँव से जब से शहर में आये रंग दिखायें रोज़ नया
चोर गली में शोर मचाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ
…. शिवकुमार बिलगरामी