मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
यदि सुबह हमारी आंखें खुलती हैं, तो हम अपने आप को मशीनों से घिरा हुआ पाते हैं। शायद मशीनों ने नहीं, हमने ही मशीनों को घेर रखा है, क्योंकि वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि इस संसार में पहले मशीनों का ही अस्तित्व आया और बाद में मशीनों ने इंसान को बनाया। हम मशीनों को नहीं चला रहे, मशीनें हमें चला रही हैं। इन मशीनों का नियंत्रण न केवल मनुष्य पर है बल्कि प्रकृति पर भी उतना ही है।
प्रकृति पर जो इसका प्रभाव है, वह तुरंत ही देखने को मिलता है। लेकिन मनुष्य पर जो इसका प्रभाव है, वह एक लंबी अंतराल पर देखने में मिलता है। कभी-कभी यह प्रभाव अदृश्य भी होते हैं, किंतु यह आवश्यक नहीं कि जो अदृश्य है वह अस्तित्व में ही नहीं है। प्रातः काल आंख खोलने पर हमारा ध्यान हमारे पंखे की ओर जाता है, जो हमारे घर में रफ्तार से चल रहा है। कूलर, जिसने कश्मीर से भी अधिक ठंडक का माहौल बनाया हुआ है। घर में चमक रहा बल्ब, ऐसा लगता है जैसे सूरज से भी अधिक प्रकाश दे रहा है।
अब जरूरत किस बात की है? अगर प्रकृति से भी अच्छी कोई चीज हमें प्राप्त हो रही हो तो इसमें समस्या ही क्या है? यह बात भूलना नहीं चाहिए कि मशीन एक बहुत बड़ी व्यापारी है, जो किसी भी कार्य को मुफ्त में नहीं करती। अगर वह हमें अधिक से अधिक लाभ पहुंचा रही है, तो समझना चाहिए कि उसे भी कहीं ना कहीं से लाभ प्राप्त हो रहा है।
आज देखें, जीवन के हर प्रतिपल में मशीनों ने हमारा कितना साथ दिया है और हमें कितना अधिक आलसी बना दिया है। आज जो हम कामचोर का स्तर प्राप्त किए हुए हैं, वह मशीनों की ही देन है। इसके लिए इसे शुक्रिया कहना काफी नहीं होगा। अगर इससे माफी मांगते हैं, तो हम बहुत बड़े नुकसान की भागीदार भी बन सकते हैं। हमें यह बात मान लेनी चाहिए कि मशीन हमारे जीवन का वह अभिन्न भाग है जिसके बिना जीवन यापन संभव व नहीं है।
मनुष्य कुछ समय बिना किडनी के तो रह सकता है, लेकिन मशीनों के बिना रह पाना उसकी बस में नहीं है। अगर कोई चीज नहीं छूट रही हो, तो ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम उस चीज के साथ समझौता कर लें। आप और हम समझौता कर लेते हैं मशीनों के साथ। जो कार्य बिना मशीनों के भी संभव हैं, वह कार्य हम स्वयं अपने हाथ से प्राकृतिक रूप से करेंगे। बस यही एक सीधा सा समझौता है जिसे कर लेने मात्र से हमारे जीवन पर बहुत से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
**बिंदेश कुमार झा**
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