Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2024 · 1 min read

मशक्कत कर

अच्छे भविष्य के लिए कर मशक्कत।
वक्त कल तक की नहीं देता मोहलत।

कदम बढ़ा तू नयी मंजिलों की तरफ
बदल जायेगी जल्द तेरी किस्मत।

ख्वाबों की दुनिया में तू छोड़ दें जीना
आंखें खोल देख क्या है हकीकत।

वक्त की आग बना देगी तुम्हें कुंदन
देखना कितनी मिलेगी तुझे शोहरत।

मुश्किलें रौंदता चल तू पैरों तले
तेरे कदमों में होगी यकीनन नुसरत।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 43 Views
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

कान में रखना
कान में रखना
Kanchan verma
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
Phool gufran
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
goutam shaw
विजातीय बिआह।
विजातीय बिआह।
Acharya Rama Nand Mandal
"हमें पता है"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक – शादी या बर्बादी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
Sonam Puneet Dubey
पटकथा
पटकथा
Mahender Singh
रुपमाला छंद (मदन छंद)
रुपमाला छंद (मदन छंद)
Subhash Singhai
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
नूरफातिमा खातून नूरी
* बाँझ न समझो उस अबला को *
* बाँझ न समझो उस अबला को *
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
4191💐 *पूर्णिका* 💐
4191💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कविता की कथा
कविता की कथा
Arun Prasad
बासी रोटी भी हो तो
बासी रोटी भी हो तो
shabina. Naaz
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
Anil Mishra Prahari
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
आज कल लोगों को बताओ तब उनको पता लगता है कुछ हुआ है।
आज कल लोगों को बताओ तब उनको पता लगता है कुछ हुआ है।
पूर्वार्थ
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अगलग्गी (मैथिली)
अगलग्गी (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मजदूरों के मसीहा
मजदूरों के मसीहा
नेताम आर सी
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
Shreedhar
इशारा
इशारा
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
डॉक्टर रागिनी
सावन का मेला
सावन का मेला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बुझी-बुझी सी उम्मीद बरकरार भी है
बुझी-बुझी सी उम्मीद बरकरार भी है
VINOD CHAUHAN
#कालजयी_पात्र
#कालजयी_पात्र
*प्रणय*
जामुन
जामुन
शेखर सिंह
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
Piyush Prashant
Loading...