और भी हैं !!
रखिये धीरज कि जीने के बहाने अभी और भी हैं,
उनके शहर से दूर कई आशियाने अभी और भी हैं।
दिल में दबा है जो ग़ुबार दिल में ही रहने दो,
एक बेवफ़ाई ही नहीं उनसे शिकायतें और भी हैं।
ग़म का क्या है आज नहीं तो कल कट जाएगा,
जो काटे नहीं कटेंगी अकेली रातें अभी और भी हैं।
मुझसे दर्द-ओ-ग़म की बातें और ना करो ऐ दोस्त,
सुकून से निकालने को बचे लम्हें अभी और भी हैं।
चलो देर से ही सही तुम्हें अक्ल तो आई ऐ ज़िन्दगी,
इश्क़ के अलावा दिल बहलाने के रास्ते और भी हैं।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि