मर्यादा
-लावणी छंद सृजन
मर्यादा में जीवन जीना,जीवन शोभायमान है।
बिम्बित हो मानस अंबर में,नव किरण स्वर्ण समान है।
संयम,नित्य-नियम अपनाता,
जो खुद पर रखता वश है।
युगों-युगों तक याद करें जग,
चहुँ दिश फैलाता यश है।
मर्यादा में रहने वाले, बनता नायक महान है।
मर्यादा में जीवन जीना,जीवन शोभायमान है।
करो याद तुम राम कथा को,
क्षण भर सभी प्रसंगों को।
जिसने मर्यादा की खातिर ,
तपा दिया निज अंगों को।
अनुसरण योग्य जन- जीवन में,गुण चिन्तन ध्यायमान है।
मर्यादा में जीवन जीना,जीवन शोभायमान है।
मर्यादा सीमा रेखा है,
बंधन इसको मत समझो।
लाँघ रहे जो मर्यादा को,
होता उसका गत समझो।
जीवन जीने की शैली है, आदर्शों में प्रधान है।
मर्यादा में जीवन जीना,जीवन शोभायमान है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली