मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
सरयू नदी के तट पर विराजमान पावन धाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की जन्मस्थली अयोध्या, श्री राम प्रभु समाज को कर्त्तव्यता का वह पाठ बता गए हैं, कि कर्त्तव्य ही सर्वोपरि हैं।
पिता के वचन हेतु चौदह वर्ष वनवास में जीवन यापन, राज धर्म कर्त्तव्यता तो उनको अपने आप से ही विरक्त कर दिया, कर्त्तव्यता हेतु इतना बड़ा त्याग तो एक सच्चा प्रेमी ही कर सकता हैं। कर्त्तव्यता हेतु श्री रामचंद्र माता सीता ने अपने प्रेम का बलिदान कर दिया, अपने प्रजा हेतु।
सभी गुणों के स्वामी सर्वोपरि श्री राम चंद्र मातृ प्रेम, भ्रातृ प्रेम, पुत्र प्रेम, प्रियशी प्रेम, उनकी धरोहर थी।
सदैव ब्राह्मण स्त्री निर्बल की सहायता किया, अपनी मित्रता को कर्त्तव्यता पूर्वक निष्ठा से निभाया।
कर्त्तव्यता उनके आचरण की आदर्शवान, मर्यादावान बन गए, मर्यादा की सीमा कर्त्तव्य परिधि उत्तम कार्य करने वाले प्रभु श्रीराम बहुविवाह प्रथा का त्याग कर नारी को उच्च सम्मान से समाज में उचित स्थान दे, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहलाए। जय श्री राम