” मर्यादापुरूषोत्तम “
अजब अवतार थे आप
गजब अवतार थे आप
सारे अवतारों में
सर्वश्रेष्ठ अवतार थे आप ,
आपने खुद को मनुष्य जाना
मर्यादा में रहने का प्रण ठाना ,
बड़ा अनोखा अवतार था
प्रभु में नर का वास था ,
हर रूप में दिव्य रूप दिखाया
इस रूप में बस मस्तक झुकाया ,
आपको था पता…
ये अवतार सबसे कठिन अवतार है
मनुष्य का जीवन कष्टों का सार है
फिर भी इस योनी को अपनाया
” सीमा ” जिसके अधीन नही थे आप
परन्तु उसी में रहते हुये खुद को
” मर्यादापुरूषोत्तम ” कहलवाया ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23 – 02 – 2018 )