मर्ज़ भले कोई हो ट्रीटमेंट ज़रूरी है
मर्ज़ भले कोई हो ट्रीटमेंट ज़रूरी है
जंक फूड के साथ सप्लिमेंट ज़रूरी है
रखिये न इसे बाँधकर ज़ोर ज़बर दस्ती से
दिल की सेहत के लिए मूवमेंट ज़रूरी है
खिल के हँसे मुस्कुराए तो सोचता है दिल
क्या फूलों को भी ऑर्नामेंट ज़रूरी है
सीखने -सिखाने की देखने को क़ाबिलियत
हर इक सबक़ के बाद असेसमेंट ज़रूरी है
उक्ता न जाओ कहीं ज़िंदगी की दौड़ से
बीच -बीच में एंटरटेनमेंट ज़रूरी है
हैं हथियार मौत के मगर फिर भी या रब
अमन-चैन की ख़ातिर अर्मामेंट ज़रूरी है
निकली ज़बान से लकीर पत्थर की हो गई
नहीं वो बात अब ‘सॅरू’ अग्रीमेंट ज़रूरी है