मरघट (3)
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चारों तरफ रहस्य का साया, मूक धरा घना सन्नाटा पाले हैं ।
घोरी-अघोरी तांत्रिक तंत्र क्रियाएँ घोर साधना वाले हैं ।
बुझी चिंताये, भस्म, अस्थियाँ, जली लकड़ियां है टुकड़े काले-काले
भूत-प्रेत-पिशाच, भय, खतरा मरघट में दाह संस्कार के छाले हैं
? ? ? ? –लक्ष्मी सिंह ? ☺