मरखंडे
बात है
35 साल पहले की.
‘कोसी’ और ‘लाली’
हमारे घर थीं
इन नामों की गाएं.
बचपन में जिनका
खूब दूध पिया
ऊर्जा पाकर उछला-कूदा.
‘कोसी’ थी सीधी
और सफेद
जबकि ‘लाली’ थी
नाम के मुताबिक
ुलाल किंतु मरखंडी
‘कोसी’ के सामने
कोई बच्चा भी आ जाता
तो वह उससे किनारे
होकर निकल जाती
जबकि ‘लाली’
हर किसी को देखकर
‘सींग’ हिलाती
बच्चे क्या उससे
बड़े भी डरते
‘अर्थात’
इंसानों में जिस तरह
होते हैं गुंडे, वैसे ही
पशुओं में भी होते हैं
मरखंडे.
-21 जनवरी 2013
सोमवार, शाम 7.30 बजे