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27 Aug 2022 · 1 min read

मरकर मुझको जीना है

#मरकर_मुझको_जीना_है

जो जीवन मुझको मिला
कुछ ऐसे उसको जीना
मर जाने के बाद भी यारों
मरकर मुझको जीना है।।

बोल भलाई से जग के
उस प्रेम के रस को पीना है
नफरत के दरिया को प्रीत से
भरकर मुझको जीना है।।

जीवन में सब कुछ पाने की
तृष्णा एक हसीना है
मोह माया के इस चंगुल
डरकर मुझको जीना है।।

देख व्यभिचार जगत में
हुआ छलनी मेरा सीना है
इस कुसंगत के भंवर में नहीं
फंसकर मुझको जीना है।।

तार-तार हुऐ रिश्तों को
अब प्रीत की डोर से सीना है
दुःख के अंधियारों से उठकर
हँसकर मुझको जीना है।।

स्वरचित
योगी रमेश कुमार
जयपुर राजस्थान

Language: Hindi
145 Views

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