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15 Nov 2017 · 1 min read

मयखाना

अपने मय में खोया हुआ
चला जा रहा वो मयखाना

मयखाना में मय ना मिला
मदिरा पिया हुई बड़ी शाना

लेकिन जब मय ने देखा
महबूब के प्यार का पैमाना

काबू खुद पर कर ना सका
वो खुद पर बरबस ही शर्माना

अपने मय में क्यू इतना खोया रहा
मुझसे भी बेहतर हैं यँहा दिल लगाना

ना बादा में इतना नशा
जितना नशा देख के आता
मेरे महबूब के होठों पे मुश्काना!!

®आकिब जावेद

Language: Hindi
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