मम्मी पापा के छांव
भोजपुरी गीत
✍️ शीर्षक ✍️
“मम्मी पापा के छांव”
मम्मी पापा के छांव,
हर पल रहे ठांव -२
हमरे बचपन के ईहे
खुशहाली ह।
ईहे सुन्दर दशहरा
दिवाली ह।।
घरे अंगना में खेलत कूदत रहीं,
नींद के आंखि गोदिया में मूंदत रहीं;
माई झुलुहा झुलाके खेलावत रहे।
गोदी दुधवा पियाके बझावत रहे।।
हउवें दरिया के नांव
इनहीं से ई गांव – २
कंधा इनके खुशी के बहाली ह
ईहे सुन्दर दशहरा………….
प्यार माई के अंचरा के कोना हवे,
रहे साया त ना जादू टोना हवे;
सारा हिम्मत ह पापा के ही प्यार से;
बिना मंदिर के मूरत के दीदार से।
जवना घर में ह भाव
बाटे सुंदर सुभाव – २
“रागी” बगिया के खुश्बू
ई माली ह।
ईहे सुन्दर दशहरा दिवाली ह।।
मम्मी पापा के छांव
हरपल रहे ठांव – २
हमरे बचपन के ईहे
खुशहाली ह।
ईहे सुन्दर दशहरा दिवाली ह।।
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश से