ममत्व की माँ
ममत्व की माँ
ममत्व की माँ ही हैं ,
जो तब से स्नेह करती हैं
जब मैं इस दुनिया में भी नहीं आया था ।
ममत्व की माँ ही हैं ,
जो निःस्वार्थ प्रेम ,करुणा , प्रार्थना
अंतकरण में सदैव रखकर समाया था ।।
ममत्व की माँ ही हैं ,
हरपल उपकार न भुलना हैं ।
जिस घर में माँ खुश हैं ,
वहाँ खुशियों का खजाना हैं ।।
ममत्व की माँ ही हैं ,
माँ के स्मरण मात्र से ,
संसार रुपी भंवर की रक्षा करती हैं ।
संपूर्ण ब्रम्हांड ,
सृष्टि उत्पत्ति समायी करती है ।।
ममत्व की माँ ही हैं ,
कोई भी अपने जीवन में ,
मातृ ऋण से मुक्त नहीं हो सकता हैं ।
सर्वप्रथम गुरू , मार्गदर्शन , पथदर्शक हैं,
जीवन में हर लड़ाई, साहस , शक्ती की प्रदाता हैं ।
– राजू गजभिये
बदनावर जिला धार
( मध्यप्रदेश )